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रुपरेखा : जीएसटी (GST) - जीएसटी का इतिहास - जीएसटी के पहले भारत के टैक्स प्रणाली - जीएसटी लागू होने का कारण - जीएसटी लागू होने के बाद - कई आशंका - जीएसटी के तहत कर संरचना - उपसंहार।
जीएसटी (GST)
जीएसटी (GST) जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Service Tax) एक टैक्स का नाम है जो भारत में जीएसटी (गस्त नाम से एक नया बिल पास हुआ । राज्यसभा ने जीएसटी (GST) के लिए संविधान संशोधन बिल पर बहस की और वोटिंग हुई। इसे भारत में टैक्स सुधारों को लेकर आज़ादी के बाद से अब तक का सबसे महत्वपूर्ण संवैधानिक संशोधन माना जा रहा है। जिसे राज्यसभा ने पास कर दिया है। राज्यसभा में जीएसटी (GST) को लेकर संविधान संशोधन को मंजूरी मिल जाने के बाद पूरे देश में जीएसटी (GST) को 1 अप्रैल 2017 से लागू किया गया।
जीएसटी का इतिहास
जीएसटी की नींव आज से 16 वर्ष पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रखी गई थी। इसके बाद वर्ष 2007 में यूपीए की सरकार के दौरान वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बजट में 2010 से जीएसटी लागू करने का प्रस्ताव दिया था। सैद्धांतिक रूप से बीजेपी और कांग्रेस दोनों जीएसटी का समर्थन करते रहे हैं लेकिन कुछ बिंदु ऐसे थे, जिनकी वजह से इस बिल को राज्यसभा में कांग्रेस का समर्थन नहीं मिल रहा था। कांग्रेस केंद्र द्वारा सभी सेवाओं और वस्तुओं पर 4 प्रतिशत ज़्यादा कर लगाए जाने के फैसले के विरोध में थी जिसे सरकार ने बिल से हटा दिया। कांग्रेस की मांग थी कि सरकार एक विवाद निपटान प्राधिकरण का निर्माण करे ताकि दो राज्यों या फिर केंद्र और राज्य के बीच होने वाले विवादों को सुलझाया जा सके। कांग्रेस चाहती थी कि सरकार जीएसटी पर 18 प्रतिशत का कैप तय करे। यानी जीएसटी के तहत टैक्स की दर हमेशा के लिए 18 प्रतिशत ही हो जिसे आगे चलकर सरकार अपनी मर्जी से ना बढ़ा पाए।
जीएसटी के पहले भारत के टैक्स प्रणाली
जीएसटी से पहले भारत के टैक्स सिस्टम में सबसे बड़ा बदलाव 2005 में किया गया था जब सेल्स टैक्स को वैट (VAT) से बदल दिया गया था। वैट की मदद से अलग अलग चरणों में लगने वाले टैक्स को कम करने की कोशिश की गई थी। लेकिन वैट भी टैक्स पर टैक्स लगाने वाली व्यवस्था का अंत नहीं कर पाया। वैट उन वस्तुओं पर भी लगता है जिनके लिए ड्यूटी चुका दी गई है, यानी आम लोगों को टैक्स पर भी टैक्स देना पड़ता है। भारत में टैक्स की वर्तमान व्यवस्था के तहत देश में निर्मित होने वाली वस्तुओं की विनिर्माण पर एक्साइज़ ड्यूटी देनी पड़ती है। जबकि ये सामान जब बिक्री के लिए जाता है तो इस पर सेल्स टैक्स और वैट लग जाता है। इसी तरह सेवाओं पर लोगों से सर्विस टैक्स वसूला जाता है लेकिन जीएसटी लागू होने पर सामान या सर्विस पर सिर्फ एक ही टैक्स देना होगा। जीएसटी के तहत सरकार राज्य सरकारों को नुकसान की स्थिति में पूरे 5 वर्षो तक मुआवज़ा देगी। आपको बता दें कि दुनिया के करीब 165 देशों में 591 की व्यवस्था लागू है, यानी इन देशों में भारत की तरह वस्तुओं और सेवाओं पर अलग अलग तरह के टैक्स नहीं देने पड़ते।
जीएसटी लागू होने का कारण
इससे भारत एक टैक्स वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगा यानी देश में वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले अलग अलग तरह के टैक्स खत्म हो जाएंगे और फिर एक नये आंकड़े के मुताबिक देश के करीब 137 करोड़ लोग सेवाओं और वस्तुओं पर सिर्फ एक तरह का टैक्स देंगे जिसे जीएसटी (GST) के नाम से जाना जाएगा। अभी किसी भी सामान पर केंद्र और राज्य कई तरीके के टैक्स लगाते हैं। लेकिन जीएसटी आने से सभी तरह के सामानों पर एक जैसा टैक्स लगाया जाएगा। सर्विस टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, स्टेट सेल्स टैक्स और वैट (VAT) जैसे तमाम टैक्स ख़त्म होंगे। मौजूदा स्थिति ये है कि हमें किसी भी सामान पर करीब 25 से 35% टैक्स देना पड़ता है। कुछ चीज़ों पर तो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से लगाया जाने वाला टैक्स 50 फीसदी तक पहुंच जाता है। जीएसटी आने के बाद ये टैक्स 18% हो जाएगा, जिसमें कोई अप्रत्यक्ष टैक्स नहीं होगा। जीएसटी के आने से टैक्स का ढांचा सरल हो जाएगा और इससे विनिर्माण क्षेत्र का पैसा और समय दोनो बचेंगे। विशेषज्ञों की राय है कि अगर देश में जीएसटी लागू हो जाएगा तो जीडीपी बढ़त (GDP Growth) 1 से 2 फीसदी तक बढ़ सकती है। जीएसटी के ज़रिए देश में एक टैक्स की व्यवस्था लागू हो जाएगी। इसी के साथ केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले कई तरह के अप्रत्यक्ष टैक्स ख़त्म हो जाएंगे। जीएसटी भारत की अर्थव्यवस्था को एक टैक्स वाली अर्थव्यवस्था बना देगा। फिलहाल भारत के लोग वस्तुओं और सेवाओं के लिए कई तरह के टैक्स चुकाते हैं जबकि जीएसटी लागू होने के बाद सिर्फ एक तरह का टैक्स ही चुकाना होगा।
जीएसटी लागू होने के बाद
जीएसटी लागू होने के बाद घर और कार खरीदना काफी सस्ता हो जाएगा। कारों पर अभी 30 से 44 प्रतिशत तक टैक्स लगता है लेकिन सिर्फ 18 प्रतिशत जीएसटी लगने की वजह से ये कारें 45 हज़ार रुपये तक सस्ती हो सकती हैं। अभी घर खरीदने पर आपको सर्विस टैक्स और वैट (VAT) दोनों चुकाने पड़ते हैं लेकिन जीएसटी लागू होने पर आपको सिर्फ एक तरह का टैक्स देना होगा। इसी तरह रेस्टोरेंट या होटल में खाना, खाना भी सस्ता हो जाएगा। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि अभी अलग-अलग राज्यो में वैट (VAT) की दर अलग-अलग है और आपको सर्विस टैक्स भी चुकाना होता है। जीएसटी लागू होने पर आपको सिर्फ एक ही तरह का टैक्स देना होगा। अभी एयरकंडीशनर, माइक्रोवेव ओवन और वॉशिंग मशीन जैसे घरेलू ऊपकरण खरीदने पर आपको 12.5 प्रतिशत एक्साइज़ और 14.5 वैट देना पड़ता है लेकिन जीएसटी के तहत सिर्फ 18 प्रतिशत टैक्स देने से ये सामान आप काफी कम दामों पर घर ला पाएंगे। उद्योगों को अभी कई तरह के टैक्स भरने होते हैं लेकिन जीएसटी लागू होने पर उद्योगों का वक्त और पैसा दोनों बचेंगे। जीएसटी के बाद एक्साइज़ ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम, वैट सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, मनोरंजन टैक्स और लक्ज़री टैक्स जेसे टैक्स खत्म हो जाएंगे।
कई आशंका
जीएसटी लागू होने के कुछ वर्षो तक आपको महंगाई वाले दिन भी देखने पड़ सकते हैं। कई खाने के वस्तुओं पर ज्यादातर राज्यों में अभी कोई ड्यूटी नहीं लगती है जहां इन वस्तुओं पर अभी ड्यूटी लगती है वहां भी इसकी दर 4 से 6 प्रतिशत तक है। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद आपको डिब्बाबंद खाने पर भी 18 प्रतिशत तक का टैक्स देना होगा। इसी तरह गहनों पर अभी 3 प्रतिशत ड्यूटी और रेडीमेड कपड़ों पर 4 से 5 प्रतिशत स्टेट वैट लगता है लेकिन 18 प्रतिशत जीएसटी लगने के बाद गहने और कपड़े महंगे हो सकते हैं। जीएसटी लागू होने के बाद डिस्काउंट भी महंगा हो जाएगा। अभी डिस्काउंट के बाद बची बाकी की कीमत पर टैक्स लगता है लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद एमआरपी (MRP) पर भी टैक्स लगेगा। इसके अलावा सभी तरह की सेवाएं महंगी हो जाएंगी, क्योंकि अभी मोबाइल फोन और क्रेडिट कार्ड जैसी सेवाओं पर 15 प्रतिशत का टैक्स लगता है जो बढ़कर 18 प्रतिशत हो जाएगा यानी आपको इन सेवाओं पर अभी के मुकाबले 3 प्रतिशत ज़्यादा रकम खर्च करनी पड़ेगी।
जीएसटी के तहत कर संरचना
जीएसटी में तीन तरह के टैक्स शामिल होंगे जिनमें पहला होगा सीजीएसटी यानी केंद्रीय माल और सेवा कर (Central Goods And Services Tax) जिसे केंद्र सरकार वसूलेगी। दूसरा वस्तु एवं सेवा कर (Goods And Services Tax) जिसे राज्य सरकारें वसूलेंगी। तीसरा होगा आईजीएसटी यानी एकीकृत माल और सेवा कर (Integrated Goods And Services Tax) जो दो राज्यों के बीच होने वाले कारोबार पर लगेगा और इसे दोनों राज्यों को बराबर अनुपात में बांटा जाएगा। इसतरह जीएसटी के तहत कर संरचना की गयी है जिसे देश के हर राज्यों में लागू कर दी गयी है।
उपसंहार
जीएसटी हमारे देश के लिए एक महत्वपूर्ण बिल पास हुआ जिससे मध्यवर्ग के लोगों को टैक्स से थोड़ी राहत मिलने की संभावनाएं जता सकते है। कई वर्ष से चली आ रही जीएसटी पर चर्चा आज जा के ख़तम हुए और अंत 1 अप्रैल 2017 से लागू किया गया। अब देखना यह है की आगे भविष्य में इसका कितना लाभ और नुक़सान का सामना करना पड़ता है।
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